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Pilchu Hadam & Pilchu Budhi

पिलचु हड़ाम , पिलचु बुढ़ी से सात लड़के और सात लडकियों का जन्म हुआ । बड़े लड़के ( मारांगइअ ) को हंसदा पारिस ( गोत्र ) मिला । उससे छोटे (तालाइअ ) को मुर्मू गोत्र मिला । उसी प्रकार उससे छोटे भाईयों को हेम्ब्रोम , किस्कू , मरांडी , सोरेन , और सबसे छोटे लड़के को टुडू पारिस ( गोत्र ) दिया गया , और सात लडकियों को कोई गोत्र ( पारिस ) नहीं दिया गया । गोत्र विभाजन के बाद वंशवृधि के लिए जरुरी था कि संतान की उत्पत्ति हो । इसके बाद ठाकुर ज़ी के आदेश पर मारांग बुरु ने बड़े लड़के को बड़ी लड़की के साथ , मंझले लड़के को मंझली लड़की के साथ , उसी प्रकार सभी लड़के - लडकियों का आपस में विवाह कराया गया । लेकिन लडकियों का कोई गोत्र नहीं था , इसलिए उन्हें लड़के के गोत्र से जाना गया । इसी सात मुल गोत्र से सथाली समाज का उदय हुआ । बाद में पाँच और गोत्र ( पारिस ) बनाये गए :- बसकी , बेसरा , चोड़े , पवरिया , और  बेदिया । अब कुल 12 (बारह )  गोत्र  हो गये । इसके बाद  ठाकुर ज़ी ने यह निर्णय लिया की एक ही गोत्र के लोग अपने ही गोत्र वालों के साथ विवाह नहीं कर सकते है । संथालो के मुख्य देवता "मारांग बुरु " ने ठाकुर ज़ी के आदेश पर हमारे पूर्वजों का मार्गदर्शन किया था ।


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